Tum khadi ho sath mere...
#तुम #खड़ी #हो #साथ #मेरे,#साथी #मेरे!
हर सुबह,हर दोपहर हो साथ मेरे,
हर गली,कूँचे, शहर हो साथ मेरे,
हर कोई छोड़े मेरा संग है मुझे स्वीकार लेकिन,
चाहता बस तुम खड़ी हो साथ मेरे!
तुम खड़ी हो साथ मेरे,साथी मेरे,साथी मेरे!
मैं तेरा चेहरा प्रिये कब देखता हूँ,
तुमको मैं अपनी ही छाया सोचता हूँ,
चाहे हर दुख झेलना मुझको पड़े पर,
चाहता हूँ मुस्कुराएं होंठ तेरे!
तुम खड़ी हो साथ मेरे,साथी मेरे,साथी मेरे!
क्यों तेरे खातिर अलग से घर बनाएँ!
क्यों तेरा स्थान कोई और पाए,
क्यों तुम्हे खोने का डर मुझको सताए,
जानता तुम रह रही हो दिल में मेरे!
तुम खड़ी हो साथ मेरे,साथी मेरे,साथी मेरे!
बस तेरे ही ख्वाब दिल में बुन रहा हूँ,
राह का काँटा सभी मैं चुन रहा हूँ,
ना कोई कंकड़ ना काँटा हो वहाँ पर,
जिस जगह पर पड़ रहे हों पाँव तेरे!
तुम खड़ी हो साथ मेरे ,साथी मेरे....साथी मेरे!
नेह के सागर छलकते हों कहीं पर,
प्यार के मोती बिखरते हों जमीं पर,
चाहता मन तुझको ले जाएं जहां पर,
चांद -तारों से सजे सृंगार तेरे!
तुम खड़ी हो साथ मेरे,साथी मेरे.....साथी मेरे!
हर मेरी कविता ,कहानी तुम पे हो बस,
ये मेरी पूरी जवानी तुम पे हो बस,
हर मेरे साखी,सबद में तुम -ही -तुम हो,
सबसे पहले तुम सुनो सब गीत मेरे!
तुम खड़ी हो साथ मेरे,साथी मेरे...साथी मेरे!
मैं तेरा एहसास मुझमें पा रहा हूँ,
मैं गया था आज वापस आ रहा हूँ,
हर सड़क जाएगी मेरी बस तुम्हीं तक,
तुम ही तो हो एकलौते प्यार मेरे!
तुम खड़ी हो साथ मेरे,साथी मेरे...साथी मेरे!
तुम खड़ी हो साथ मेरे,साथी मेरे...साथी मेरे!
#स्वरचित
#हेमन्त #राय
हर सुबह,हर दोपहर हो साथ मेरे,
हर गली,कूँचे, शहर हो साथ मेरे,
हर कोई छोड़े मेरा संग है मुझे स्वीकार लेकिन,
चाहता बस तुम खड़ी हो साथ मेरे!
तुम खड़ी हो साथ मेरे,साथी मेरे,साथी मेरे!
मैं तेरा चेहरा प्रिये कब देखता हूँ,
तुमको मैं अपनी ही छाया सोचता हूँ,
चाहे हर दुख झेलना मुझको पड़े पर,
चाहता हूँ मुस्कुराएं होंठ तेरे!
तुम खड़ी हो साथ मेरे,साथी मेरे,साथी मेरे!
क्यों तेरे खातिर अलग से घर बनाएँ!
क्यों तेरा स्थान कोई और पाए,
क्यों तुम्हे खोने का डर मुझको सताए,
जानता तुम रह रही हो दिल में मेरे!
तुम खड़ी हो साथ मेरे,साथी मेरे,साथी मेरे!
बस तेरे ही ख्वाब दिल में बुन रहा हूँ,
राह का काँटा सभी मैं चुन रहा हूँ,
ना कोई कंकड़ ना काँटा हो वहाँ पर,
जिस जगह पर पड़ रहे हों पाँव तेरे!
तुम खड़ी हो साथ मेरे ,साथी मेरे....साथी मेरे!
नेह के सागर छलकते हों कहीं पर,
प्यार के मोती बिखरते हों जमीं पर,
चाहता मन तुझको ले जाएं जहां पर,
चांद -तारों से सजे सृंगार तेरे!
तुम खड़ी हो साथ मेरे,साथी मेरे.....साथी मेरे!
हर मेरी कविता ,कहानी तुम पे हो बस,
ये मेरी पूरी जवानी तुम पे हो बस,
हर मेरे साखी,सबद में तुम -ही -तुम हो,
सबसे पहले तुम सुनो सब गीत मेरे!
तुम खड़ी हो साथ मेरे,साथी मेरे...साथी मेरे!
मैं तेरा एहसास मुझमें पा रहा हूँ,
मैं गया था आज वापस आ रहा हूँ,
हर सड़क जाएगी मेरी बस तुम्हीं तक,
तुम ही तो हो एकलौते प्यार मेरे!
तुम खड़ी हो साथ मेरे,साथी मेरे...साथी मेरे!
तुम खड़ी हो साथ मेरे,साथी मेरे...साथी मेरे!
#स्वरचित
#हेमन्त #राय
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें