Sath khada tha koi..!

#साथ #खड़ा #था #कोई!(पिता जी को समर्पित)

जीवन में समरसता थी,
मधुता का उत्तुंग शिखर था,
हर लता प्रफुल्लित,कुसुमित थी,
नवकिसलय सा हर एक पहर था,
हर पहर-पहर हर डगर-डगर,
बस साथ चला था वो ही,
स्याह अँधेरी रातो में भी साथ खड़ा था कोई!

जीवन के उस पतझड़ में,
जब सारे पुष्प ,पत्र सूखे थे,
सारी कलियाँ मुरझाई,
व हर मुक्तक जब टूट गिरे थे,
तब चिरलग्न मुकुल सा मुझमें,
सहज जुड़ा था वो ही!
स्याह अँधेरी रातों में भी साथ खड़ा था कोई!

जब तीक्ष्ण वेदना के स्वर ने,
अंतर्मन को ललकारा,
धीरज का वो पुल टूटा,
विपरीत हुई हर धारा,
बाहुबल कमजोर पड़ा,और
मांगा कोई सहारा,
तब जीर्ण-शीर्ण हो रही बाजुएँ थाम रहा था वो ही,
स्याह अँधेरी रातों में भी साथ खड़ा था कोई!

थी विकट परिस्थिति,और सघन था अंधकार,
जीवन में,
सब कुछ खो देने का डर था अंतर्मन में!
जब रवि ने भी मुँह मोड़ा,
परछाईं ने भी संग छोड़ा,
हर घनघोर कुहासे से निर्भीक लड़ा था वो ही!
स्याह अँधेरी रातों में भी साथ खड़ा था कोई!

#स्वरचित
#हेमन्त #राय

फ़ोटो साभार इंटरनेट!

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