जीवन की सच्चाई देखा...!
जीवन के अनूठे दृश्य:छोटी उम्र के अनुभव,
मैंने क्या-क्या देखा;
कुनबे की अंगड़ाई देखा,
चाहत की गहराई देखा,
विपदाओं से आंख मिली तो,
जीवन की सच्चाई देखा।
इश्क़ ,मोहब्बत ,कसमे,वादे,
करना और मुकरना देखा,
इस छोटे से काल चक्र में ,
मिलना और बिछड़ना देखा।
दरिया की रवानी देखा,
कविता,ग़ज़ल,कहानी देखा,
जीने का तरकीब सिखाता,
आंखों का वो पानी देखा ,
जीवन के इस पानीपत में,
देखा बहुत लड़ाई है,
कुछ लोगो को कहते देखा,
अभी तो ये अंगड़ाई है।
अंतर्मन में निजता साधे,
बाते हवा हवाई देखा,
स्याह रात के अंधियारे में,
साथ खड़ी परछाई देखा।
सावन की पुरवाई देखा,
मौसम की चतुराई देखा,
जब मधुबन में शाख मिली तो,
कई कली मुरझाई देखा!
#विपदाओं #से #आंख #मिली #तो
#जीवन #की #सच्चाई #देखा!
#हेमन्त #राय;:-
मैंने क्या-क्या देखा;
कुनबे की अंगड़ाई देखा,
चाहत की गहराई देखा,
विपदाओं से आंख मिली तो,
जीवन की सच्चाई देखा।
इश्क़ ,मोहब्बत ,कसमे,वादे,
करना और मुकरना देखा,
इस छोटे से काल चक्र में ,
मिलना और बिछड़ना देखा।
दरिया की रवानी देखा,
कविता,ग़ज़ल,कहानी देखा,
जीने का तरकीब सिखाता,
आंखों का वो पानी देखा ,
जीवन के इस पानीपत में,
देखा बहुत लड़ाई है,
कुछ लोगो को कहते देखा,
अभी तो ये अंगड़ाई है।
अंतर्मन में निजता साधे,
बाते हवा हवाई देखा,
स्याह रात के अंधियारे में,
साथ खड़ी परछाई देखा।
सावन की पुरवाई देखा,
मौसम की चतुराई देखा,
जब मधुबन में शाख मिली तो,
कई कली मुरझाई देखा!
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