हमारी ट्रेन यात्रा..!
लगभग 57 मिनट की देरी के बाद हमारी दून एक्सप्रेस हरिद्वार से लगभग 11:00 बजे रात के बाद रवाना हुई ,हम भी ट्रैन में बैठे बैठे कार्बाइट में रखे कच्चे आम की तरह पके जा रहे थे,पुरानी कुछ यूट्यूब से सेव की हुई चुनिंदा वीडियो, और पुराने पुराने अपने इसी माइक्रोमैक्स यूफोरिया से खिंचे गए फोटोज को देख ,टाइम पास करते हुए थोड़ा बहुत सरकार की रेलवे व्यवस्था को कोसते हुए,
"देखो यही बात करते हैं बुलेट ट्रेन लाने की,ई नही करते कि पहले जो ट्रेन हैं उसी को सही किया जाय ,टाइमिंग सही किया जाय"
लेकिन क्या करे बैठने को तो मजबूर हैं ही , और कर भी क्या सकते है ऐसा भी तो नही है हमारे गाँव के बोलेरो जैसा कि अगर भोला बहुत ऐंठ दिखा रहे हैं तो टुनटुन वाली बोलेरो कर लेंगे ,एक ही रेलवे है , बस सर्विस तो जानते ही हैं अपने देश की !!
फिर ट्रैन भी अपनी धीरे धीरे रफ्तार पकड़ती तो पता चलता कि अभी क्रासिंग भी करानी है किसी सुपरफास्ट की, तो फिर रुक जाती ऐसे करते करते ट्रैन लेट का टाइमिंग बढ़ता गया, अब सोचे कि चले सोए,लेकिन आस पास के कुछ लोग अभी हरकत में थे, तो उन्ही की हरकतों को देखते देखते हमे भी नींद आना बंद हो गयी.....
कुछ लोग तो बढ़िया एकदम चदरा पैर के अंगूठे से लेकर सर के चोटी तक ताने ,निधड़क सो रहे थे उन्हें कोई सुध नही की ट्रेन लेट हो रही है कि जल्दी हो रही है,चल भी रही है या अभी स्टेशन पर ही है,कोई हमारा बैग ले जाएगा कि मोबाइल उनको रत्ती भर भी टेंशन नही है...!
कुछ लोग बैठे बैठे उस घड़ी का इंतज़ार कर रहे थे कि जब तक ट्रेन का आखिरी व्यक्ति न सो जाय!!! क्योंकि उनका मानना है कि देखो जमाना बहुत गड़बड़ है कोई भी कभी भी आपके साथ कुछ भी कर सकता है...!
तीसरी प्रजाति के लोग थे in relationship वाले , उनको तो पूछो मत वो तो facebook, whatsapp,messenger, को ऐसा छान मार रहे थे ऐसा लग रहा था कल ही उनका "डिप्लोमा इन सोशल साइट्स" के लास्ट सेमेस्टर का एग्जाम हो और आज वो इसी का रिविजन कर रहे है।
एक हम भी थे गुरुकुल वाले हम बेचारे फेसबुक व्हाट्सएप्प पर खाली सिंगल होने का रोना रोते हैं,और वही पुराने स्टाइल में फ़ोटो अपलोड कर कर के परेशान हैं कोई घास तक नही डाल रहा है।
क्योकि हम जानते है, की प्लास्टिक का बैग,डेंगू का मच्छर और लड़कीं यानी कि गर्लफ्रैंड तो गुरुकुल जैसे विस्वविद्यालय में मिलने से रहा,इसलिए फेसबुक पर ही हाथ पांव पटकते है।
हमारे इस फोटो अपलोड करने और स्टेटस अपडेट करने वाले कारनामे से कुछ और हो न हो लेकिन हमारे गाँव के उन अतिबुद्धिजीवी चाचा लोगो को हमारे ऊपर ताने कसने का अवसर अवश्य मिल जाता है जो लोग 10वी क्लास में भी तीन -तीन बार फेल होने के बावजूद सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर,दिल्ली बम्बई जाकर रन्दा चलाकर,कोइलरी में कोयला खोदकर क़िस्त पर पैसन गाड़ी निकालकर मुह में तीन पैकेट विमल केसरी गुटका भर कर कूंचते हुए चलते हैं।
ये लोग भी आड़ ताककर बतिया ही देते हैं कि "देखा उहे एक ठे वकील साहब के लड़का हवे,गयल हवे उत्तराखंड पढ़े,दिन भर फ़सबूकवे पर बिताते हैं"
इन्ही सब के बीच फेसबुक पर एक नोटिफिकेशन आया किसी मित्र ने बड़े प्रचलित मुद्दे "महिला सशक्तिकरण" में मुझे टैग किया हुआ था और कमेंट बॉक्स में एक गर्म बहस भी छिड़ी हुई थी,फिर इसी महिला सशक्तिकरण पर मुझे थोड़ा हास्य सूझा और स्वभाव के अनुसार एक छोटी सी रचना हुई......;
"महिला सशक्तिकरण शुरू हो गया है मित्र,
हम महिलाओं को सशक्त अब बनायेगे,
मोदी जी ने दिया है निर्देश जैसा हमे हम,
बेटियां बचाएंगे,पढ़ाएंगे,लड़ाएंगे,
खाई है कसम हमने भी अब देश से,
रूढ़िवादी रीतियाँ,कुरीतियां मिटायेंगे,
खेत जोतते हैं सारे मर्द यहां पर लेकिन,
अब हम महिलाओं से भी हल चलवाएंगे,
इतने में एक बूढ़ा बोला ऐसा मत कर देना वर्ना,
सारे बुड्ढ़े घर मे पड़े भूखे मर जायेंगे।"
#हेमन्त #राय
"देखो यही बात करते हैं बुलेट ट्रेन लाने की,ई नही करते कि पहले जो ट्रेन हैं उसी को सही किया जाय ,टाइमिंग सही किया जाय"
लेकिन क्या करे बैठने को तो मजबूर हैं ही , और कर भी क्या सकते है ऐसा भी तो नही है हमारे गाँव के बोलेरो जैसा कि अगर भोला बहुत ऐंठ दिखा रहे हैं तो टुनटुन वाली बोलेरो कर लेंगे ,एक ही रेलवे है , बस सर्विस तो जानते ही हैं अपने देश की !!
फिर ट्रैन भी अपनी धीरे धीरे रफ्तार पकड़ती तो पता चलता कि अभी क्रासिंग भी करानी है किसी सुपरफास्ट की, तो फिर रुक जाती ऐसे करते करते ट्रैन लेट का टाइमिंग बढ़ता गया, अब सोचे कि चले सोए,लेकिन आस पास के कुछ लोग अभी हरकत में थे, तो उन्ही की हरकतों को देखते देखते हमे भी नींद आना बंद हो गयी.....
कुछ लोग तो बढ़िया एकदम चदरा पैर के अंगूठे से लेकर सर के चोटी तक ताने ,निधड़क सो रहे थे उन्हें कोई सुध नही की ट्रेन लेट हो रही है कि जल्दी हो रही है,चल भी रही है या अभी स्टेशन पर ही है,कोई हमारा बैग ले जाएगा कि मोबाइल उनको रत्ती भर भी टेंशन नही है...!
कुछ लोग बैठे बैठे उस घड़ी का इंतज़ार कर रहे थे कि जब तक ट्रेन का आखिरी व्यक्ति न सो जाय!!! क्योंकि उनका मानना है कि देखो जमाना बहुत गड़बड़ है कोई भी कभी भी आपके साथ कुछ भी कर सकता है...!
तीसरी प्रजाति के लोग थे in relationship वाले , उनको तो पूछो मत वो तो facebook, whatsapp,messenger, को ऐसा छान मार रहे थे ऐसा लग रहा था कल ही उनका "डिप्लोमा इन सोशल साइट्स" के लास्ट सेमेस्टर का एग्जाम हो और आज वो इसी का रिविजन कर रहे है।
एक हम भी थे गुरुकुल वाले हम बेचारे फेसबुक व्हाट्सएप्प पर खाली सिंगल होने का रोना रोते हैं,और वही पुराने स्टाइल में फ़ोटो अपलोड कर कर के परेशान हैं कोई घास तक नही डाल रहा है।
क्योकि हम जानते है, की प्लास्टिक का बैग,डेंगू का मच्छर और लड़कीं यानी कि गर्लफ्रैंड तो गुरुकुल जैसे विस्वविद्यालय में मिलने से रहा,इसलिए फेसबुक पर ही हाथ पांव पटकते है।
हमारे इस फोटो अपलोड करने और स्टेटस अपडेट करने वाले कारनामे से कुछ और हो न हो लेकिन हमारे गाँव के उन अतिबुद्धिजीवी चाचा लोगो को हमारे ऊपर ताने कसने का अवसर अवश्य मिल जाता है जो लोग 10वी क्लास में भी तीन -तीन बार फेल होने के बावजूद सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर,दिल्ली बम्बई जाकर रन्दा चलाकर,कोइलरी में कोयला खोदकर क़िस्त पर पैसन गाड़ी निकालकर मुह में तीन पैकेट विमल केसरी गुटका भर कर कूंचते हुए चलते हैं।
ये लोग भी आड़ ताककर बतिया ही देते हैं कि "देखा उहे एक ठे वकील साहब के लड़का हवे,गयल हवे उत्तराखंड पढ़े,दिन भर फ़सबूकवे पर बिताते हैं"
इन्ही सब के बीच फेसबुक पर एक नोटिफिकेशन आया किसी मित्र ने बड़े प्रचलित मुद्दे "महिला सशक्तिकरण" में मुझे टैग किया हुआ था और कमेंट बॉक्स में एक गर्म बहस भी छिड़ी हुई थी,फिर इसी महिला सशक्तिकरण पर मुझे थोड़ा हास्य सूझा और स्वभाव के अनुसार एक छोटी सी रचना हुई......;
"महिला सशक्तिकरण शुरू हो गया है मित्र,
हम महिलाओं को सशक्त अब बनायेगे,
मोदी जी ने दिया है निर्देश जैसा हमे हम,
बेटियां बचाएंगे,पढ़ाएंगे,लड़ाएंगे,
खाई है कसम हमने भी अब देश से,
रूढ़िवादी रीतियाँ,कुरीतियां मिटायेंगे,
खेत जोतते हैं सारे मर्द यहां पर लेकिन,
अब हम महिलाओं से भी हल चलवाएंगे,
इतने में एक बूढ़ा बोला ऐसा मत कर देना वर्ना,
सारे बुड्ढ़े घर मे पड़े भूखे मर जायेंगे।"
#हेमन्त #राय
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