मैं कलाम बनना चाहता हूँ..!

#मैं #कलाम #बनना #चाहता #हूँ!

मेरे दोस्त तू क्यूँ सोचता है कि मैं,
"अफ़ज़ल" का प्रतिरूप हूँ,
आतंकवाद की इस कुत्सित मानसिकता का
मैं स्वरूप हूँ,

तू कैसे मान लेता है कि मैं,
 बुरहान बनना चाहता हूँ,
तू मुझसे कभी मेरे मन की बात क्यों नही,
सुनना चाहता है??

पर कभी थोड़ा समय निकाल और मिल मुझसे,
और झाँक कर देख थोड़ा मेरे दिल में,
मेरी धड़कनो को सुनने का प्रयास कर,
तू मेरी सांसो की गति को,
उसमे चलती सनसनाहट को,
महसूस करने का प्रयत्न कर!

तू देखेगा मेरे सीने में भी तुझे एक आग जलती हुई दिखाई देगी,
वो आग जो "ISIS" को,"लश्कर-ए-तैयबा" को,
जला देना चाहती है,
मेरे कौम पर लगे कलंको के,वजूद को,
मिटा देना चाहती है।

मेरे रक्त का प्रवाह भी तुझे लालायित दिखाई देगा,
जो चाहता होगा कि मेरे दामन पर लगा एक -एक दाग धुल जाए।

मेरे धड़कनो में भी तुझे एक आवाज,
सुनाई देगी,
वो आवाज राष्ट्रगान गा रही होगी,
वंदे मातरम की धुन गुनगुना रही होगी।
और ये आवाज तुझे सायद ये भी बता देगी,
तू गलत सोचता है,
मैं "बुरहान" नही मैं "कलाम" बनना चाहता हूँ।
मैं कलाम बनना चाहता हूँ!

#हेमन्त #राय

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