कलम रुकेगी उसी शर्त पर जिस दिन मैं मर जाऊँगा..!

भारत के हर जन के मन मे,
इस धरती के हर कण -कण में,
देश प्रेम की अविरल धारा,
जब तक ना बह जाएगी,

कश्मीर से अंडमान तक,
केरल से तिब्बत पठार तक,
राष्ट्रभक्ति की अविनाशी ज्वाला,
जब तक ना जल जाएगी,

मैं एक कलम सिपाही बन कर,
जोर जोर चिल्लाऊंगा,
चिल्लाकर मैं देश प्रेम का,
गीत सुनाता जाऊँगा।

चाहे कोई कुछ भी बोले,
धरती भी पथ पर ना डोले,
मैं जन मन का गीत अलौकिक,
यू ही लिखता जाऊँगा।

कलम रुकेगी उसी शर्त पर ,
जिस दिन मैं मर जाऊँगा।

स्वरचित-हेमन्त राय

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