#ब्रेवगार्ड #में #बीते #दिन..!
#ब्रेवगार्ड #में #बीते #दिन..! याद बहुत आते हैं हमको,ब्रेवगार्ड में बीते दिन! नही रहा जाता है अब,चौरसिया और डीडी के बिन! वो डीडी का "भाई साहब",चौरसिया का "उल्लू" कहना, मोलू सर की मुस्कान और,श्री विपिन का गुस्से में रहना! वो दिन भी याद बहुत आते हैं,जब दुबे जी क्लास में आते थे, हम कस -कस के "सिसियाते" थे, दुबे जी हमें डराते हम भाभी- भाभी चिल्लाते थे! शक्तिमान व शुक्ला सर की भी यादें बहुत सताती हैं, अब चार लाइन सुनने की इच्छा मन ही मन घुट जाती है, सब कुछ आता है याद हमें, अब चाहे रात हो या हो दिन, याद बहुत आते हैं हमको,ब्रेवगार्ड में बीते दिन! हम लोग हमेशा क्लास की पिछली बेंच पे पाए जाते थे, बैठ लड़कियों के पीछे हम सबकी मौज उड़ाते थे, करते करते शैतानी जब पूरा दिन ढल जाता था, राजीव शर्मा जी की क्लास में पढ़कर पूरा मन भर जाता था, कितना भी मन रोज बनाएं, कितने भी संकल्पित हों, आर डी सर का पहला लेक्चर तो अक्सर छूट ही जाता था, ये सारी यादें चुभ जाती हैं जैसे चुभती है कोई पिन, याद बहुत आते हैं हमको ब्रेवगार्ड में बीते दिन..!